
मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के महिदपुर कस्बे में एक मौलाना ने फेसबुक पर कुछ ऐसा पोस्ट कर दिया, जिसे लेकर अब थाने के दरवाज़े खटखटाए जा रहे हैं। मौलाना तुरब अली पर आरोप है कि उन्होंने पाकिस्तान के एक मौलाना का वीडियो पोस्ट किया, जिसमें ईद की कुर्बानी के बारे में कुछ “कटाक्षात्मक” बातें कही गई थीं।
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शिकायत किसने की?
अखंड हिंदू सेना के प्रदेश उपाध्यक्ष मनोज प्रजापत का कहना है कि यह वीडियो सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की साज़िश है। उन्होंने बाकायदा पुलिस में शिकायती पत्र दे दिया, जिसे पढ़ते ही थाना प्रभारी नरेंद्र बहादुर सिंह परिहार ने तुरंत एफआईआर की काट की।
मौलाना नदारद, वीडियो जांच में
एफआईआर होते ही मौलाना तुरब अली जैसे गायब हो गए — न घर में, न गली में, न ही वर्चुअल सभा में। पुलिस ने उनका सोशल मीडिया अकाउंट और वायरल वीडियो साइबर सेल को जांच के लिए भेज दिया है।
अब इस डिजिटल जमाने में लगता है “कटने” से ज़्यादा “पोस्ट होने” से डर लगने लगा है।
क्या था वीडियो में ऐसा?
वीडियो में पाकिस्तान के मौलाना ईद के मौके पर कुर्बानी को लेकर कुछ धार्मिक बातें कर रहे थे — लेकिन भारत में, धर्म की सीमाएं सिर्फ देशों से नहीं, नेटवर्क से भी तय होती हैं।
यह वीडियो भारत में आया और फेसबुक पर वायरल हुआ, तो भावनाएं आहत हो गईं — बकरे का क्या कसूर था, कोई नहीं पूछ रहा।
समाज का हाल: धर्म + डेटा = ड्रामा
जहां एक ओर 5G आ गया है, वहीं सोशल मीडिया पर धार्मिक कंटेंट अब 1947 के ट्रिगर मोड में है।
हर पोस्ट एक पोस्टमार्टम बन जाता है। हर शेयर एक FIR की संभावना लेकर आता है।
सवाल ये है…
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क्या धार्मिक भावनाएं अब केवल डेटा पैक से जुड़ी हैं?
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क्या हर पाकिस्तानी वीडियो देशद्रोह की श्रेणी में आता है?
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और सबसे जरूरी — बकरा कब बोलेगा?
डिजिटल इंडिया में अब धार्मिक कुर्बानी से ज़्यादा ज़रूरी हो गया है ‘पोस्ट’ की कुर्बानी देना। मौलाना तुरब अली इस समय अज्ञातवास में हैं, लेकिन उनकी पोस्ट सोशल मीडिया पर देश की सबसे “भारी” कुर्बानी बन चुकी है।